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महकता सपना मैं भी आख़िर फूल बनूँगी मंद मंद मुसकाऊँगी जो भी पास मेरे आएगा उसको में महकाऊँगी कल देखा था मैंने सपना अंबर पर काले बादल थे बारिश की निर्मल ...